स्थानांतरित खेती क्या है
-यह खेती करने की बहुत ही आदम प्रणाली है जिसमें खेती की स्थान को कुछ समय बाद छोड़कर दूसरी जगह खेती योग्य भूमि बनाकर खेती की जाती है जिसका उद्देश्य होता है कि नई जगह पर अधिक उत्पादन किया जा सके
इस प्रकार यह पर्यावरण संरक्षण में बाधा के रूप में काम करता है क्योंकि हर बार नई जगह पर खेती करने पर वहां के स्थानीय वनस्पति को काट कर हटा दिया जाता है और कृषि योग्य भूमि में बदला जाता है जिसकी वजह से जंगल और वनावरण में कमी आती है
स्थानांतरित खेती की परिभाषा
खेती करने की या यह आदिम प्रणाली आदिमानव के काल से चली आ रही है इस प्रकार की कृषि में किसी स्थान पर कुछ वक्त कृषि करने के बाद जगह को छोड़कर किसी अन्य जगह पर जाकर वहां की वनस्पति को जलाकर साफ कर कृषि योग्य भूमि में बदला जाता था और वहां पर फसल बोया जाता था खेती करने का यह आदिम तरीका स्थानांतरित खेती कहलाता है
स्थानांतरित खेती कहां की जाती है
भारत में स्थानांतरित खेती नार्थ ईस्ट में की जा रही है वहां पर स्थानांतरित खेती के लिए जंगलों को काटा नहीं जा रहा है बल्कि पहले से बनाई गई जमीन पर ही कृषि की जाती है इस प्रकार की खेती में कृषि भूमि दोनों जगहों पर तैयार होती है लेकिन एक ही वक्त पर दोनों जगहों पर खेती नहीं की जाती है किसी एक जगह पर कुछ वक्त खेती करने के बाद उस भूमि को कुछ वक्त के लिए छोड़ दिया जाता है और उस भूमि पर कृषि कार्य किया जाता है जिसको पहले कुछ वक्त के लिए बिना कृषि किये कुछ वक्त के लिए छोड़ दिया गया था
स्थानांतरित खेती क्यों किया जाता है
इसे झूम खेती भी कहा जाता है स्थानांतरित खेती पर्यावरण की बिल्कुल अनुकूल नहीं है क्योंकि इस खेती में किसी स्थान पर लगातार खेती करने के बाद वहां की उर्वरता कमजोर हो जाती है तब दोबारा अधिक उत्पादन और लाभ के लिए किसी अन्य स्थान पर खेती के लिए जगह खोजा जाता है जिसमें की पेड़ पौधे और वनस्पति हो किस प्रकार की भूमि पर humas की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण वहां पर कृषि पर न करने पर फसल उत्पादन अधिक होता है जिससे लाभ होता है इस कारण ही शिफ्टिंग कल्टीवेशन उस वक्त किया जाता था
स्थानांतरित खेती की हानि
- झूम खेती करने पर पर्यावरण पर इसका वृहद प्रभाव पड़ता है जो निम्न है
- पेड़ पौधे और वनस्पतियों का नुकसान होता है
- पेड़ पौधों और वनस्पति को जलाने पर भूमि पर उपस्थित अच्छे बैटरी मृत हो जाते हैं जिससे भूमि गुणवत्ता प्रभावित होती है
- वन और वनावरण कम होता है
- भूमि की उर्वरता कम होती है
- पेड़ पौधों और वनस्पति को काटने से वहां की मिट्टी का निक्षालन तेजी से होता है
- जैव विविधता पर स्थानीय प्रभाव पड़ता है
- स्थानीय वनस्पति की हानि होती है
- बड़ी क्षेत्र पर पेड़ पौधों को काटने पर मौसम प्रभावित होता है जिससे बारिश होने की संभावना कम हो जाती है
- ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या पैदा होती है
- क्लाइमेट चेंज होने लगती है
स्थानांतरित खेती के लाभ
स्थानांतरित खेती करने की कुछ लाभ भी हैं जो निम्न है
- छोड़ी गई जमीन पर दोबारा वनस्पति उगती है जो प्राकृतिक होती है
- छोड़ी गई जमीन पर वनस्पति उगने से मिट्टी का निक्षालन कम होता है
- छोडी गई मृदा पर पोषक पदार्थों का रीजेनरेशन होता है