सेटेलाइट (उपग्रह) क्या होता है
उपग्रह एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है जिससे रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष के कक्ष में स्थापित किया जाता है और यह उपग्रह एक बहुउद्देशीय इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसके द्वारा कई कार्य किए जाते हैं
सेटेलाइट क्या है
सेटेलाइट को हम हिंदी में उपग्रह कहते हैं
अगर आप अगर आप चंद्रमा को पृथ्वी का एक उपग्रह कहते हैं इसे आप वही वालों उपग्रह समझ रहे हैं तो आप गलत समझ रहे हैं हम बात कर रहे हैं electronic और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी युक्त मशीन के बारे में जिससे हमें बहुत सारी सुविधाएं प्राप्त होती है
जैसे कि संचार सुविधा, रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी, मौसम विज्ञान और मनोरंजन के साधन के रूप में डीटीएच के द्वारा टीवी देखना
एक उपग्रह के द्वारा बहुत सारी सुविधाएं हम इंसानों को प्रदान की जाती है परंतु इसके लिए हमें कुछ charge देना पड़ता है क्योंकि सेटेलाइट को अंतरिक्ष में स्टेबल करने के लिए और उसको बनाने के लिए बहुत सारे रुपयों की जरूरत पड़ती है जिससे उसका बजट बहुत बढ़ जाता है इस कारण दुनिया की कोई भी सेटेलाइट सुविधा free नहीं हो सकती
तो चलिए जानते हैं सेटेलाइट क्या होता है
सैटेलाइट का आविष्कार कब हुआ?
सैटेलाइट का आविष्कार सर्वप्रथम सोवियत संघ russiya द्वारा किया गया था इनका द्वारा विश्व का पहला कृत्रिम उपग्रह स्पुतनिक 1 बनाया गया , स्पुतनिक 1 का निर्माण में डिजाइन सर्गेई कोरोलेव ने किया था
सेटेलाइट का काम क्या होता है
एक उपग्रह बहुत सारे कामो में उपयोग लाये जाते है जिसमे से- संचार सेवा ,मनोरंजन सेवा , मौसमी जानकारी जुटाना , remote सेंसिंग ( सुदूर संवेदन ) , अपने देश की सुरक्छा के लिए खुफिया जानकारी जुटाना जैसे काम शामिल है
उपग्रह को अंतरिक्ष में कैसे भेजा जाता है
उपग्रह को अंतरिक्ष में राकेट के माध्यम से भेजा जाता है यह रॉकेट इतने शक्तिशाली होते हैं कि पृथ्वी की ग्रेविटी को तोड़ते हुए अंतरिक्ष तक जा पाती है आपको पता होगा कि पृथ्वी की ग्रेविटी से दूर ले जाने के लिए रॉकेट को प्रति सेकंड 11 किलोमीटर की स्पीड चाहिए होती है जो कि हमने रॉकेट नोदन का सिद्धांत में पढ़ा है
इसी टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए राकेट द्वारा अपने साथ उपग्रह को ले जाया जाता है और उसे अंतरिक्ष में एक निश्चित कक्ष में स्थापित किया जाता है
सैटेलाइट कितने प्रकार के होते हैं?
उपग्रह को उचाई के आधार पर उपग्रह को
लो अर्थ आर्बिट ,नियर अर्थ ऑर्बिट, सूर्य तुल्यकाली उपग्रह ,भू तुल्य कारी उपग्रह में बाटा गया है
अंतरिक्ष में कक्षा क्या होता है
दोस्तों आपने देखा ही होगा की हमारी पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा है जो तब से पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है जब से कि पृथ्वी और चंद्रमा बने हैं. चंद्रमा हमेशा एक निश्चित कक्षा में घूमते रहता है इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि कोई व्यक्ति बीच में खड़ा है और उसका गोल चक्कर कोई एक आदमी लगा रहा है और वह उसी सर्कल में हमेशा घूमता है
वैसे ही चंद्रमा भी एक निश्चित सर्कल में पृथ्वी का चक्कर लगाती है ऐसे ही सेटेलाइट के लिए एक निश्चित कक्षा का निर्धारण किया जाता है वह पृथ्वी को हमेशा कवरेज करते रहे और पृथ्वी द्वारा उससे संपर्क साध कर उसे नियंत्रित किया जा सके क्योंकि अगर उसे निश्चित कक्षा से दूर भेजा जाएगा तब उसे कंट्रोल करना मुश्किल होगा इस आधार पर अंतरिक्ष में orbital (ककछक) का निर्धारण किया गया है इसके बारे में विस्तार से जानते हैं
लो अर्थ आर्बिट
कक्षक को इंग्लिश में orbital भी कहा जाता है जब कक्षक की दूरी पृथ्वी से 100 किलोमीटर की दूरी पर हो तो उसे लो अर्थ आर्बिट कहा जाता है
नियर अर्थ ऑर्बिट
जब कक्षक की दूरी पृथ्वी से 400 किलोमीटर की दूरी पर हो तब उसे नियर अर्थ आर्बिट कहा जाता है
सूर्य तुल्यकाली उपग्रह
प्रकार की उपग्रह को इस प्रकार के उपग्रह को पृथ्वी से 1000 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किया जाता है
सूर्य तुल्यकाली उपग्रह भेजने के लिए पीएसएलवी का उपयोग किया जाता है इसके द्वारा रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट को भेजा जाता है इस कक्षक में स्थापित उपग्रह हमेशा उत्तर दक्षिण दिशा में गति करते रहते हैं
भू तुल्य कारी उपग्रह
इस कक्षक की दूरी पृथ्वी से 36000 किलोमीटर होता है इतनी दूरी तक भेजने के लिए जीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल इसरो द्वारा किया जाता है
दोस्तों हमने आपको उपग्रह क्या है और इसे कैसे भेजा जाता है और उपग्रह अंतरिक्ष में कहां स्थापित होते हैं इसके बारे में हमने आपको बताया अब हम आपको बताते हैं कि एक को सेटेलाइट कैसे काम करता है
उपग्रह कैसे काम करता है
सभी उपग्रह में एक रिसीवर और एक sender लगा होता है मतलब रिसीवर का काम होता है पृथ्वी द्वारा भेजी गई इंफॉर्मेशन को रिसीव करना और सेंडर का काम होता है इंफॉर्मेशन को पृथ्वी तक भेजना
इसके लिए इनफार्मेशन को भेजने और रिसीव करने के लिए कई इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों का उपयोग किया जाता है
जिससे कि तरंगों द्वारा इंफॉर्मेशन को शंकर माड्यूलेशन कर डाटा को इंक्रिप्टेड किया जाता है और जब वह सेंडर द्वारा रिसीवर तक भेजा जाता है तो अब उसको डिकोट कर इंफॉर्मेशन को समझा जाता है
उपग्रह कौन-कौन से काम करता है
उपग्रह द्वारा हमेशा लोगों के हित में ही कार्य किया जाता है या फिर हम ऐसे कह सकते हैं कि इंसानों द्वारा ही उपग्रह को बनाकर उसका वैसा यूज करते हैं जैसा वे चाहते हैं
इसके आधार पर उपग्रह को रिमोट सेंसिंग, संचार,मनोरंजन जैसे वर्गों में बांटा गया है चलिए इन सब के बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं
रिमोट सेंसिंग क्या है रिमोट सेंसिंग के द्वारा दूर से ही किसी वस्तु या पदार्थ को समझने का प्रयास किया जाता है इसके अंदर इसके अंतर्गत वस्तु द्वारा परावर्तित तरंग दैर्ध्य या फिर सेटेलाइट द्वारा भेजे गए तरंगों का जब रिफ्लेक्शन होता है उसका अध्ययन कर किसी वस्तु या पदार्थ के बारे में जाना जाता है जैसे कि रिमोट सेंसिंग से पता करना कि किसी एरिया में कितने वन संसाधन है या फिर खनिज संसाधन कहां कहां है और कितनी मात्रा में यह सब रिमोट सेंसिंग से ही जा सकता है प्राप्त किया जा सकता है
संचार उपग्रह
अगर आप मेरी इस पोस्ट को लैपटॉप या मोबाइल में पढ़ रहे हैं तब यहां संचार उपग्रह के कारण ही संभव हो पाया है क्योंकि आप जो इंटरनेट यूज कर रहे हैं उसे सिर्फ सेटेलाइट द्वारा संभव बनाया गया है,
अब दुनिया के किसी भी जगह पर बैठकर इंटरनेट सेवा का लाभ उठा सकते हैं जो कि सिर्फ और सिर्फ सेटेलाइट द्वारा संभव है इंटरनेट का उपयोग करना किसी से बात करना या लाइव वीडियो चैट करना इसके अलावा सोशल मैसेंजर एप का उपयोग करना यह सभी संचार उठा के द्वारा ही संभव हो पाता है
सेटेलाइट द्वारा मनोरंजन प्रदान करना
आपको याद होगा आपको याद होगा अगर आप 80 से 90 के दशक में पैदा हुए होंगे तब या फिर उस वक्त की मूवी देख कर आप समझ पाएंगे कि उस वक्त मनोरंजन का साधन सिर्फ टीवी हुआ करता था वह भी ब्लैक एंड वाइट और यह भी संभव उपग्रह के द्वारा हो पाया था
आपने इनसैट नामक संचार उपग्रह के बारे में सुना होगा, उसने दूरदर्शन को को घर घर तक पहुंचाया,इनसेट के द्वारा ही लोगों ने दूरदर्शन को घर-घर तक पंहुचा पाया और सभी ने रामायण महाभारत जैसे लोकप्रिय सीरियल का लुफ्त उठाया
इसके अलावा आप शक्तिमान जैसे लोकप्रिय सीरियल आपने देखा होगा यह सभी चीजें इनसेट सीरीज के सेटेलाइट द्वारा संभव हो पाया उस वक्त सिर्फ टेलीफोन चलता था क्योंकि मोबाइल टेक्नोलॉजी की शुरुआत हो तो चुकी थी किंतु वहां सर्विस बहुत महंगी थी जिसके कारण टेलीफोन ही हर जगह दिखाई देता था प्रकार आप समझ सकते हैं कि मनोरंजन उपलब्ध करवाने में उपग्रह का बहुत बड़ा हाथ है आज तो आप अपने मोबाइल में ही टीवी देख सकते हैं यूट्यूब चला सकते हैं अब आपका मोबाइल की टीवी बन चुका है
मौसम की जानकारी उपग्रह द्वारा
मौसम संबंधित जानकारी आप हमेशा टीवी से प्राप्त करते होंगे आपको क्या लगता है मौसम की सभी जानकारी आप तक पहुंचती कैसी है इसके लिए भी बहुत सारे मौसम सेटेलाइट बने हुए हैं जो पृथ्वी के lower अर्थ आर्बिट और नियर अर्थ आर्बिट में स्टेबल किए हुए होते हैं जिनका काम होता है मौसम संबंधित है सभी जानकारी जुटाना,
इसमें रिमोट सेंसिंग जैसे तकनीक का भी उपयोग किया जाता है जिससे पता चलता है कि कितनी स्पीड से हवा चल रही है तापमान कितना है आंधी आने की चांस बरसात में हमेशा होती है उसके बारे में पहले से बताना यह सभी जानकारी एक मौसमी सेटेलाइट प्रदान कर सकता है इसके लिए पृथ्वी में भी अनेक मौसम केंद्र स्थापित होते हैं जिन से सभी डाटा सेटेलाइट को भेजा जाता है और सैटलाइट इन सभी डाटा ओं को आपस में मर्ज कर एक authentic रिपोर्ट देता है मौसम के बारे में
FAQ -Satellite क्या है कैसे काम करते हैं पूरी जानकारी
A सेटेलाइट धरती से 100 किलोमीटर से 36000 किलोमीटर की दुरी पर पाया जाता है
A विश्व का पहला उपग्रह Sputnik 1 है
A भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट है
A सेटेलाइट अधिकांश आयन मंडल में स्थापित किया जाता है
A भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट है, 1975 को LAUNCH किया गया था
A भारत का दूसरा उपग्रह भास्कर है जो 1979 को प्रछेपित( LAUNCH) हुआ
A पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह की संख्या एक है
A सेटेलाइट फोन सीधे उपग्रह से संपर्क स्थापित कर काम करते है
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