प्रकाश का वर्ण विछेपण क्या है | dispersion of light in hindi

प्रकाश का वर्ण विछेपण क्या है – जब सूर्य से प्राप्त प्रकाश को प्रिज्म से होकर गुजारा जाता है तो प्रकाश अपने अवयवी 7 रंगों में  बट जाता है इसे ही प्रकाश का वर्ण विछेपण (dispersion of light )  कहा जाता है

प्रकाश का वर्ण विछेपण कैसे होता है

  सूर्य प्रकाश का रंग सामान्यतः देखे तो वह सफेद या क्रीम रंग का दीखता है वास्तव में जब सभी रंग को आपस में मिला दिया जाता है तो सफेद रंग की प्राप्ति होती है ,हमें कोई रंग हरा या लाल तभी दिखती है जब सामने वाला वस्तु हरा या लाल रंग को परावर्तित करती है ,और यदि वह सभी रंग को परावर्तित करें तब सफेद रंग दीखता है चलिए अब जानते हैं प्रकाश का वर्ण विछेपण कैसे होता है

प्रकाश का वर्ण विछेपण

प्रकाश का वर्ण विछेपण कैसे होता है- 

  1. सफेद प्रकाश को जब हम  सूर्य या टोर्च द्वारा सीधे प्रिज्म में प्रवेश कराते है  तो प्रकाश के सभी रंगों का विछेपण होता है
  2. यहाँ पर विछेपण का अर्थ होता है प्रकाश का अपने सातों रंग में बट जाना
  3. प्रकाश का वर्ण विछेपण का कारण प्रकाश का अपवर्तन  है
  4. इसमें प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर अभिलम्ब से दूर हटती है या अभिलम्ब की ओर झुक जाती है
  5. प्रिज्म में प्रकाश पहले विरल माध्यम से होते हुए सघन माध्यम में प्रवेश करती है तब प्रकाश प्रिज्म में प्रवेश कर अभिलम्ब की ओर झुक जाती है और यही प्रकाश जब प्रिज्म से बाहर निकलती है तो वह अभिलम्ब से दूर हट जाती है
  6. इसके आधार पर सबसे जादा अभिलम्ब से दूर बैगनी रंग होती है जो सबसे नीचे में स्थित होती है
  7. लाल रंग अभिलम्ब के बहुत नजदीक होती है इसलिये ऊपर से सबसे पहले number पर होती है

प्रकाश का वर्ण विछेपण से प्रकाश 7 रंगों में विभक्त होती है – जिसमे नीचे से ऊपर की ओर जाने पर 

1 बैगनी

2 जामुनी

3 नीला

4 हरा

5 पीला

6 नारंगी

7 लाल

ये सातों रंग उपस्थित होते है

आपको जानकर हैरानी होगी की प्रकाश का वर्ण विछेपण के कारण ही इंद्र धनुष  का निर्माण होता है

Neuton की खोज के अनुसार उन्होंने यह theory दिया की विभिन्न रंग विभिन्न कोणों पर मुड़ते है और रंगों का मुड़ना पदार्थ के अपवर्तनाक पर  निर्भर करता है

  • किसी पदार्थ की अपवर्तनाक बढ़ने पर प्रकाश की चाल कम होती जाती है
  • बैगनी रंग का तरंगदेर्द्ध सबसे कम और लाला रंग की तरंगदेर्द्ध सबसे कम होती है, प्रकाश की तरंगदेर्द्ध को angstrom से मापा जाता है

इंद्रधनुष  का बनना – अपवर्तन, परावर्तन,पूर्ण आंतरिक परावर्तन और  अपवर्तन द्वारा  प्रकाश का वर्ण विछेपण होने के कारण इंद्रधनुष का निर्माण होता है

इंद्रधनुष के रचना के आधार पर इसके 2 प्रकार है

  1 प्राथमिक इंद्रधनुष

  2 द्वितीयक इंद्रधनुष

  1 प्राथमिक इंद्रधनुष– जब हल्की  पानी की बूंदा बाँदी हो रही हो और साथ में सूर्य की प्रकाश भी पानी के कणों पर पड़ रही हो तब प्रकाश की किरणों का 2 बार  अपवर्तन  वा एक बार परावर्तन होता है तब प्राथमिक इंद्रधनुष का निर्माण होता है 

  • प्राथमिक इंद्रधनुष में लाल रंग बाहर की ओर और बैगनी रंग अन्दर की ओर होता है

  2 द्वितीयक इंद्रधनुष– जब पानी के बूंदा बाँदी के वक्त पानी में आपतित होने वाला प्रकाश का 2 बार अपवर्तन और 2 बार  परावर्तन होता है तब द्वितीयक इंद्रधनुष  का निर्माण होता है

  • द्वितीयक इंद्रधनुष में लाल रंग अन्दर की ओर और बैगनी रंग बाहर की ओर होता है
  • द्वितीयक इंद्रधनुष,प्राथमिक इंद्रधनुष की अपेछा कुछ धुंदला दीखता है

प्राथमिक रंग में – लाल, हरा और नीला रंग शामिल होता है,जिसे RGB कहा जाता है 

वस्तुओ का रंग कैसे निर्धारित होती है –

  • हमने आप को पहले ही बताया की जो रंग परावर्तित होकर हमारे आँखों में पडती है वही रंग हमें दिखाई देती है कोई फूल लाल रंग तभी दिखाई देगी जब फूल लाल रंग को परावर्तित करेगी
  • जब कोई वस्तु सभी रंगों को परावर्तित करेगी तब वह सफेद रंग की दिखाई देती है
  • जब कोई वस्तु काली तभी दिखाई देगी जब वह कोई रंग परावर्तित नही करेगी, क्योंकि वह सभी रंगों को अवसोसित करेगी

आपने क्या सीखा

प्रकाश अपने आप में बहुत वृहद विसय है हमारे आस पास होने वाले अनेक घटनाये प्रकाश आधारित होते हैं इन्ही में से हमने आज आपको प्रकाश का वर्ण विछेपण के बारे में बताया

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