पोषण क्या है | पोषण की परिभाषा | पोषण के प्रकार

पोषण क्या है

सभी प्रकार के जीव जंतुओं और पौधों के लिए अपनी  जैविक आवश्यकताओं और जैविक क्रियाओं को सुचारू रूप से क्रियान्वित करने के लिए पोषक पदार्थ  सेवन करना होता है, इस प्रक्रिया को पोषण कहा जाता है इसके अतिरिक्त जीव जंतुओं में सभी प्रकार की उपापचाई क्रियाओं के लिए भी पोषण अति आवश्यक है

पोषण की परिभाषा

किसी प्लांट्स या जीवित जीव द्वारा अपने शारीरिक विकास ,वृद्धिं और प्रजनन जैसे कार्यो को करने के लिए भोज्य पदार्थ की जरुरत होती है जिसे पोषण कहा  जाता है , इसके लिए बाह्य रूप से खाद्य पदार्थ लिया जाता है जिससे विटामिन ,प्रोटीन और कार्बोहायड्रेट जैसे आवश्यक तत्व की प्राप्ति होती है

 पौधों में पोषण के प्रकार

सभी प्रकार की पौधों में पोषण दो प्रकार का पाया जाता है

स्वपोषण और विषमपोषण

स्वपोषण ( autotrophic nutrition )

जब जीव पौधों द्वारा स्वयं के लिए भोज्य पदार्थ बनाया जाता है तब इसे स्वपोषण कहा जाता है,इस प्रकार की भोजन व्यवस्था हरे पौधों में पाया जाता है हरे  पौधे क्लोरोफिल की सहायता से भोजन का निर्माण करते हैं और   पोषण प्राप्त करते हैं

स्व पोषण दो प्रकार का होता है जिसमें पहला होता है प्रकाश स्वपोषण और दूसरा रासायनिक स्वपोषण

  • प्रकाश स्वपोषण- इसमें सभी प्रकार के हरे पौधे ब्लू ग्रीन एलगी और कुछ एक कोशिकीय जीव शामिल होते हैं
  • रासायनिक स्व पोषण- इस प्रकार की पोषण विधि नाइट्रोजन करण जीवाणु और मिथोंजेन्स मैं संपन्न होती है

विषमपोषण ( heterotrophic nutrition )

पुष्कर की इस विधि में पोषण की इस विधि में पौधे भोजन स्वयं निर्माण नहीं करते बल्कि दूसरों से प्राप्त करते हैं इस प्रकार के पेड़ पौधों में क्लोरोफिल की कमी होती है या क्लोरोफिल नहीं पाया जाता है इसकी वजह से पेड़ पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रियाविधि संपन्न नहीं हो पाती है

इस प्रकार का पोषण व्यवस्था तीन प्रकार का होता है

परजीवी पादप ( parasitic plants )

इस प्रकार के पादप अपना पोषण प्राप्त करने के लिए जीवित प्राणियों पर निर्भर होते हैं तथा अपने चूसको द्वारा पोषक पदार्थों का अवशोषण करते हैं इस प्रकार के पेड़ पौधे में अमरबेल  रेफ्लेसिया जैसे पादप आते हैं

मृतोपजीवी पादप ( saprophytic pants )

इस प्रकार के पेड़ पौधे सड़े सड़े सड़े सड़े मृत पदार्थों से भोजन को ग्रहण करते हैं इसमें कवक और जीवाणु शामिल होते हैं

कीटभक्षी पादप ( insective plants )

इस प्रकार की पोषण श्रेणी में वे पौधे आते हैं जो अपने भोजन के लिए सभी प्रकार की कीटों का शिकार करते हैं और उनसे पोषण पदार्थ ग्रहण करते हैं इस प्रकार के पेड़ पौधों में घटपर्णी ड्रोसेरा जैसे पादप शामिल हैं

जंतुओं में पोषण

भोजन पदार्थ 3 तरीको से ग्रहण की जाती है

1 पूर्णभोजी / प्राणी समभोजी ( holozoic nutrition )-

 जब किसी जीव जंतु द्वारा किसी खाद्य पदार्थ को ग्रहण कर उसको पचा पचा कर पोषण पदार्थ अवशोषित करता है तब इसे पूर्णभोजी / प्राणी समभोजी कहा जाता है

Ex इसमें सभी प्रकार की शाकाहारी, मांसाहारी और अपमार्जक जीव जंतु आते हैं

2 परजीवी पोषण (parasitic nutrition )

जीव जंतुओं की इस प्रकार के पोषण में एक जीव दूसरे जीव से भोज पदार्थ प्राप्त करता है और जिस जंतु सेवी भोजन लेते हैं वे host कहलाते हैं,  परजीवी पोषण दो प्रकार के होते है 

  बाह्यपरजीवी ( external parasite )- जब कोई जीव जंतु किसी दूसरे जीव जंतुओं की बाहरी आवरण पर स्थित होकर उससे भोजन प्राप्त करता है तब इस प्रकार की जीवो को बाह्यपरजीवी कहा जाता है

आंतरिक परजीवी ( internal parasite )- इस प्रकार की जीव किसी जीवित अन्य प्राणी के अंदर उपस्थित होकर भोजन प्राप्त करते हैं इस प्रकार के परजीवी को आंतरिक परजीवी कहा जाता है

Ex- फीता कृमि गोल कृमि स्केरिस इस प्रकार के परजीवी आंतरिक परजीवी कहलाते हैं

3  मृतोपजीवी ( saprozoic nutrition )

जैसे कि इसके नाम से पता चल रहा है की इस प्रकार की पोषण व्यवस्था जीव जंतु में जीव जंतु सड़े घड़ी मृत पदार्थों से तरल कार्बनिक रूप में भोज्य पदार्थ ग्रहण करता है इस प्रकार के पोषण व्यवस्था में जीवाणु मशरूम कवक जैसे जीव  शामिल होते हैं

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