संघ Platyhelminthes- लक्छण

संघ Platyhelminthes

इस संघ के अंतर्गत ऐसे छोटे जीव पाते हैं जो क्रीमी के जैसे होते हैं और इसमें क्रीमी के जैसे ही अखंडित चपटी शरीर वाली रचना होती इनकी करीब 13000 जातियां होती हैं

सन 1859 में पहली बार इस संघ की जीवो को अन्य संघ से अलग कर इस संघ का निर्माण किया जीवो की रचना चपटा होने के कारण इनका नाम Platyhelminthes पड़ा

जिसमे Platy- flat,    hemints- worms होता है

संघ Platyhelminthes के लक्छण

  • इस संघ के जीव छोटे पतले और चपटे होते हैं और किसी फीता जैसे दिखाई देते हैं और शरीर द्वीपार्षश्विक सम मिती वाले होते हैं
  • इस इस संघ के अधिकांश जीव जो परजीवी होते हैं और दूसरे जीव की शरीर के अंदर रहने के लिए खुद को अनुकूल करते हैं
  • इन जीवो में शरीर गुहा नहीं पाया था जिसके कारण अंदर के अंगों के बीच पैरेंकाइमा भरी होती है
  • इनका शरीर 3 स्तर से घिरा होता है, जिसमें   actoderm, meshoderm, endoderm में शरीर विभाजित होता है
  • जंतुओं का शरीर क्यूटिकल से ढका रहता है
  • इनमें अंग तंत्र का पूर्ण विकास होता है
  • पाचन तंत्र अविकसित होता है
  • पाचन तंत्र, रक्त परिसंचरण तंत्र, स्वसन तंत्र और कंकाल तंत्र नहीं पाई जाती
  • इस संघ के अधिकांश जीव उभयलिंगी होते और निषेचन आंतरिक होता है
  • इनमें विकसित प्रकार का पेशीय तांत्रिक तंत्र पाया जाता है

Platyhelminthes के लक्छण

  • उत्सर्जन और परासरण की क्रिया ज्वाला कोशिकाओं द्वारा नियंत्रित होता है
  • अंडाशय का काम केवल egg को उत्पन्न करना होता है
  • शरीर गुहा का अभाव होता है जिसके कारण अंदर पैरेंकाइमा भरा होता है
  • फीता कृमि जिसको टेपवर्म ( tape worm ) कहा जाता है वह इसी संघ का प्राणी है

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