संघ मोलस्का -वर्गीकरण , विशेसता

 

संघ मोलस्का

 मोलस्का का शाब्दिक अर्थ कोमल होता है इसमें ऐसे प्राणी पाए जाते हैं जिनका शरीर कोमल होता है किंतु इन जीवो के शरीर पर चारों ओर से कैल्शियम का आवरण पाया जाता है    इस प्रकार कोमल शरीर युक्त और कैल्शियम की आवरण से ढकी हुई यह जीव संघ मोलस्का कहलाते हैं ,इनका शरीर द्वीपार्श्विक समिति से बना होता है

संघ मोलस्का आर्थोपोडा के बाद दूसरा सबसे बड़ा संघ माना जाता है मोलस्का का नाम सबसे पहले johnstom   द्वारा 1650 में दिया गया इसके अंतर्गत करीब 80000 प्रजातियां पाई जाती है और करीब 40000 जातियां विलुप्त हो चुकी है

संघ मोलस्का के लक्छण

यह समुद्री पानी मीठे पानी के किनारे या रेत या मिट्टी के अंदर में पाए जाते हैं

इनका शरीर त्रि स्तरीय और द्वी पार्श्वसमित वाला होता है

इसके शरीर के चारों ओर कैल्शियम कार्बोनेट का बना हुआ आवरण पाया जाता है जो इसकी खुद की द्वारा किस तरह किया जाता है

इसमें मुख्य देहगुहा की बीच की  गुहा को प्रवार देहगुहा कहा जाता है,

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