माइकोप्लाजमा क्या है
माइकोप्लाजमा एक प्रकार का प्रोकैरियोटिक सूक्ष्मजीव है जिसका आकार जीवाणु से भी छोटा होता है इसमें कोशिका भित्ति का अभाव होता है जिसके कारण यह बहुत ज्यादा संरचनात्मक विभिनता प्रदर्शित करते हैं
माइकोप्लाजमा की खोज सर्वप्रथम नोकार्ड और रॉक्स नामक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने बहुत सारे पशुओं में प्लूरोनिमोनिया के संक्रमण के दौरान उनकी लार में विशिष्ट प्रकार के स्वरूप वाले जीव की खोज की जिसका उन्होंने प्लूरो निमोनिया लाइक ऑर्गनिज्म नामकरण किया
जिसके कुछ ही वक्त बाद ही लुई पाश्चर ने पशुओं में प्लूरो निमोनिया नामक रोग की खोज की जिसके बाद में nowak ने इसे जीवाणु से पूरी तरह से भिन्न बताते हुए इसके लिए माइकोप्लाजमा नाम प्रस्तावित किया और वर्तमान में माइकोप्लाज्मा नाम ही सभी जगह उपयोग किया जाता है
माइकोप्लाजमा के लक्षण और संरचना
- माइकोप्लाजमा बहुरूपी लक्षण प्रस्तुत करते हैं इसी कारण इन्हें पादप जगत का जोकर कहा जाता है इनकी संरचना प्रोकैरियोटिक तथा बहुरुपी होता है
- इनमें कोशिका भित्ति नहीं पाया जाता तथा इसमें पाया जाने वाला कोशिका,लिपिड और प्रोटीन का बना हुआ त्रिस्तरीय झिल्ली से घिरा हुआ होता है
- क्योंकि कोशिका झिल्ली लाईपोप्रोटीन की बनी होती है
- माइकोप्लाजमा मृतोपजीवी और परजीवी दोनों प्रकार के गुण वाले होते हैं
- इसमें पाया जाने वाला न्यूक्लिक अम्ल में DNA और आरआरएनए दोनों पाए जाते हैं
- माइकोप्लाजमा प्रतिजैविक पदार्थ पेनिसिलिन के प्रति हाई रेजिस्टेंस होते हैं
- इनकी कोशिका द्रव में डी एन ए और आर एन ए के अतिरिक्त राइबोसोमस तथा उपापचई पदार्थ और प्रोटीन घुले होते हैं
- इनका अकार 330A से 500A होता है
- माइकोप्लाजमा की वृद्धि और प्रजनन 3 घंटे में ही हो जाता है
माइकोप्लाजमा में प्रजनन
माइकोप्लाजमा में प्रजनन हेतु दो प्रकार की विधियां होती है जिन्हें कलिकायन और द्विवेदी खंडन के द्वारा किया जाता है
इसकी प्रजनन चक्र में चार अवस्थाएं होती है जिसमें प्राथमिक कोशिकाकाय , द्वितीयक कोशिका काय, तृतीय कोशिका काय तथा चतुर्थ कोशिकाकाय कहलाते हैं
और यह चारों विकास की चार अवस्थाएं जिसमें विकास होते हुए पहले से लेकर अंतिम तक विकास के चरण होते हैं
माइकोप्लाजमा द्वारा होने वाले रोग
माइकोप्लाजमा द्वारा जीव जंतु और पादप को प्रभावित किया जाता है इसकी कुछ ऐसी प्रजातियां हैं जो जीवो में विभिन्न प्रकार के रोग पैदा करते हैं
माइकोप्लाजमा द्वारा होने वाले पादप रोग
- बैगन का लघुप्रर्णी रोग,पपीते की गुच्छीत शिर्ष रोग, नींबू का हरित रूप गन्ने का ग्रसि रोग,चंदन का स्पाइक रोग
- इसके अतिरिक्त पौधों में बौनापन पत्तियों में पीलापन तथा पत्तियों का अत्यधिक मोटा पन होना जैसे लक्षण शामिल होते हैं
- माइकोप्लाजमा द्वारा होने वाले जंतु रोग
- माइकोप्लाजमा द्वारा पालतू जीव जंतु जैसे गाय भैंस में प्लुरो pneumoniya रोग होता है,भेड़ बकरी का एग लेक्टिक रोग
माइकोप्लाजमा द्वारा मनुष्य में होने वाले रोग
- जननांग में होने वाला शोध
- बध्यता
- श्वसन नली में होने वाला शोध
- प्राथमिक अपर रूपी pneumoniua
CONCLUSION -माइकोप्लाजमा क्या है
दोस्तों बायोलॉजी में जीव जगत में प्लांट और एनिमल दोनों शामिल है जिसमें से एक प्रमुख माइकोप्लाजमा भी है जिसका कारबन से ज्यादा छोटा होता है और इसके कारण है पादप और जीव जंतु में बहुत सारे हानिकारक प्रभाव डालता है इस पोस्ट पर हमने आपको बताने की कोशिश की है कि माइकोप्लाजमा किसे कहते हैं,और माइकोप्लाजमा के प्रभाव जीव जंतु पर कैसे पड़ते हैं