इंसुलिन क्या है-आज के इस वर्तमान वक्त में इंसान को बहुत सारे हेल्थ प्रॉब्लम आते हैं इनमें से एक है ब्लड शुगर का जब ब्लड शुगर इंसान में कंट्रोल करने की बात आती है तब अक्सर इंसुलिन का जिक्र होता है आज हम इस पोस्ट पर आपको बताएंगे कि इंसुलिन क्या होता है और इंसुलिन कैसे ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करता है
इंसुलिन क्या है
इंसुलिन हमारे शरीर में अग्नाशय ग्रंथि द्वारा स्ट्रावित होने वाला हार्मोन से जिसकी सहायता से शरीर में ब्लड शुगर लेवल को मैनेज किया जाता है यह हमारे अग्नाशय के लंगर हैंड्स के द्वीप में पाया जाने वाला बीटा कोशिका से स्ट्रावित होता है
इंसुलिन की मात्रा शरीर में कम या ज्यादा पैदा होने के आधार पर कई प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं इसलिए इंसुलिन की एक निश्चित मात्रा हमारे शरीर में स्ट्रावित होना जरूरी है,जिससे कि शरीर में ब्लड शुगर लेवल को रोका जा सके
शरीर में इंसुलिन कैसे काम करता है?
- शरीर में जब हम भोज्य पदार्थ ग्रहण करते हैं तब उस भोज्य पदार्थ का पाचन होता है और उसके बाद अवशोषण होता है और अवशोषण के बाद स्वांगीकरण प्रक्रिया के पश्चात जितने भी अवशोषित पदार्थ हैं वह रक्त परिसंचरण तंत्र की सहायता से शरीर के विभिन्न भागों में भेजा जाता है इसी प्रक्रिया में जब गुलकोज को अवसोसित किया जाता है
- तब यह रक्त प्रभाव में स्वांगीकरण प्रक्रिया द्वारा छोड़ दिया जाता है इस स्थिति में अग्नाशय द्वारा स्थापित स्थापित हार्मोन इंसुलिन होता है यह इंसुलिन रक्त प्रवाह में उपस्थित ग्लूकोज को मांसपेशियों में स्टोर करता है जिससे कि हमारे द्वारा कार्य करने पर जब ऊर्जा की जरूरत होती है
- तब ऊर्जा हमें सीधे प्राप्त हो लेकिन उसके लिए इंसुलिन की एक निश्चित मात्रा होनी चाहिए जोकि ग्लूकोज का उचित मात्रा में मांसपेशी में भंडारण कर सकती है यदि पैंक्रियास द्वारा बहुत कम मात्रा में इंसुलिन स्थापित किया जाता है तब रक्त में उपस्थित ग्लूकोस को मांसपेशियों में स्टोर ने किया जा सकता क्योंकि स्टोर करने के लिए इंसुलिन ही कम पड़ जाते हैं
- इस स्थिति में रक्त प्रभाव में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है और यही ग्लूकोस शुगर कहलाती है इस स्थिति में शरीर में कई हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं इसलिए इंसुलिन का एक निश्चित मात्रा होना जरूरी है और यदि कभी-कभी बहुत ज्यादा मात्रा में इंसुलिन साबित हो जाता है तब मांसपेशियों द्वारा भी बहुत ज्यादा मात्रा में ग्लूकोस का भंडारण कर ले जाता है जिससे कि रक्त प्रवाह में ग्लूकोज की मात्रा बहुत कम हो जाती है इससे भी शरीर में बहुत सारे प्रभाव पड़ते हैं
इंसुलिन के प्रकार
शरीर में अग्नाशय द्वारा स्थापित होने वाले इंसुलिन हार्मोन के उत्पादन के आधार पर ब्लड शुगर को दो भागों में बांटा गया है जिनको टाइप 1 और टाइप 2 कहा जाता है
टाइप 1
जब शरीर में अग्नाशय की लंगर हैंड्स की द्वीप द्वारा कम मात्रा में इंसुलिन हार्मोन का इस्तेमाल किया जाता है तब शरीर में इस प्रकार की इंसुलिन की कमी टाइप वन कहलाता है आजकल सभी इंसानों मे टाइप वन प्रकार का इंसुलिन की कमी पाया जाता है इसकी कमी दूर करने के लिए इंसुलिन का मेडिसिन लेना पड़ता है जिससे कि ब्लड में शुगर लेवल समान में रहता है
टाइप 2
टाइप टू प्रकार का बीमारी इंसानों में थोड़ा कम देखने को मिलता है इस स्थिति में अग्नाशय द्वारा इंसुलिन हार्मोन का स्त्रावण बहुत कम मात्रा में किया जाता है जिससे कि ग्लूकोज का मात्रा रक्त प्रवाह में बहुत बढ़ जाता है
जोकि मेडिसिन से भी पूरा नहीं हो पाता इस स्थिति में इंसुलिन को डायरेक्ट इंजेक्शन के द्वारा बॉडी में इंजेक्ट किया जाता है जिससे कि इन्सुलिन लेवल ठीक-ठाक मात्रा में आ जाता है और इसके बाद बॉडी में ग्लूकोज को मांसपेशियों द्वारा स्टोर कर लिया जाता है
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FAQ -इंसुलिन क्या है
- Q इंसुलिन क्या है in Hindi
इंसुलिन एक हॉर्मोन है जो ब्लड में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करती है यह अग्नाशय से स्त्रावित होता है
- Q इंसुलिन हार्मोन क्या है
इंसुलिन अग्नाशय से स्त्रावित एक हॉर्मोन है जो रक्त में उपस्थित शुगर को कण्ट्रोल करने का काम करती है
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यह हमारे सरीर में उत्पन्न होकर शुगर को मासपेशी में जाने के लिए प्रेरित करता है जिससे सरीर को कार्य करने के लिए ऊर्जा मिलती है ,और अगर शुगर को मासपेशी के अंदर नहीं भेज पते है तब ब्लड में सुगर लेवल बढ़ जाता है जिससे शरीर में कमजोरी और थकावट आता है
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ब्लड में सुगर लेवल बढ़ जाता है शरीर कमजोर हो जाता है ब्लड प्रेशर कम हो जाता है