हाइपर थायराइड क्या है
थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनाइन (T3) का थायराइड ग्रंथि द्वारा अधिक मात्रा में स्त्रावन होने से शरीर में मेटाबॉलिज क्रिया प्रभावित होती है ,जिसकी वजह से मानव का शरीर अधिक ऊर्जा का उपयोग करने लगता है जिसके कारण शरीर में कई परिवर्तन आते हैं इसे ही हाइपर थायराइड (Hyperthyroidism) कहते है।
थायराइड क्या है
मानव में गले एक तितली के सामान की रखना पाई जाती है ,जो एंडोक्राइन ग्लैंड है इस तितली के सामान ग्रंथि को थायराइड ग्रंथि कहा जाता है थायराइड ग्रंथि द्वारा दो प्रकार के हार्मोन जिसको ट्राईआयोडोथायरोनाइन (T3) और थायरोक्सिन (T4) का स्त्रावण होता है
हाइपर थायराइड किनमे होता है
- हाइपर थायराइड अधिकांश adult में ज्यादा होता है बच्चों में होने की इसकी चांस कम होती है और व्यस्को में भी अधिकांश महिलाओं में ज्यादा यह वाली समस्या पाई जाती है
- थायराइड की समस्या अधिकांश बच्चों में कम पाया जाता है किंतु यदि किसी बच्चे को थायराइड हुआ है तो उसे बहुत समस्या हो सकती है जैसे कि उसमें मानसिक विकलांगता आ सकता है शरीर का विकास में अवरोध उत्पन्न हो सकता है
- इसके अलावा चेहरे की स्ट्रक्चर में भी बदलाव आ सकता है अधिकांश बच्चों को हाइपर थाइरोएड तभी होता है जब प्रेगनेंसी के वक्त मां में आयोडीन की कमी हो जिसका सीधा प्रभाव बच्चे पर पड़ता है
- इस स्थिति में बच्चा पैदा होने के बाद दो-तीन महीने के बाद सामान्य अवस्था में आ जाता है लेकिन कभी-कभी क्रिटिकल समस्या भी आ जाती है जिसका इलाज मेडिसिन द्वारा ही संभव हो पाता है
हाइपरथॉयराइडिज्म होने के कारण
हायपर थायराइड होने का कारण कोई एक नहीं है इसके कई कारण हो सकते हैं आमतौर पर अनियमित दिनचर्या अनियमित खानपान और अनुवांशिक आधार पर भी हायपर थायराइड का प्रॉब्लम होता है
1 -हैशीमोटो डिजीज (Hashimoto’s disease) –
इसके कारण थायराइड ग्रंथि में उसकी कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है इस अवस्था में थायराइड के किसी एक भाग का काम करना बंद हो जाता है जिसकी वजह से हैशीमोटो डिजीज उत्पन्न होता है
2- थॉयरोडिटिस (Thyroiditis)–
इसी बीमारी में अधिकांश लोगों में गले में थायराइड ग्रंथि का कार्य बढ़ जाता है,जिसकी वजह से गले में सामने केवल एक उभार बन जाता है जब प्रारंभ में थायराइड ग्रंथि द्वारा थायराइड हार्मोन नहीं बन पाता है तब थायराइड ग्रंथि अपना आकार बड़ा कर अधिक हारमोंस उत्पन्न करने का प्रयास करती है
किंतु बाद में थायराइड ग्रंथि खुद से ही कम हार्मोन उत्पन्न करने लगती है इस प्रकार की समस्या अधिकांश महिलाओं में गर्भावस्था के समय दिखाई देता है
3- खाने में आयोडीन की कमी
सामान्य तौर पर इस प्रकार का रोग बहुत पहले होता था जहां पर आयोडीन युक्त नमक की सप्लाई नहीं हो पाती थी किंतु वर्तमान में सभी कंपनी द्वारा उचित मात्रा में आयोडीन की उपयोग किया जाता है नमक बनाने में जिससे कि खाने में आयोडीन की कमी ना हो
4- ग्रेव्स डिजीज (Graves-disease)–
यह ऑटोइम्यून डिसीसिस का एक प्रकार है जिसमें इंसान की इम्यूनिटी सिस्टम ही ऐसे एंटीबॉडी का निर्माण करने लगती है जो थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन की श्रवण को बढ़ाता है
जिसकी वजह से शरीर में बहुत सारे परिवर्तन आते हैं एक प्रकार से देखा जाए तो यह अनुवांशिक बीमारी भी है जो पीढ़ी दर पीढ़ी होती रहती है इसका इलाज ऑटोइम्यून सिस्टम को नॉर्मल कर किया जा सकता है किंतु इसको थोड़ा वक्त लगता है
5- गॉयटर (Goitre)-
जब शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है तो गले में गले में उपस्थित थायराइड ग्रंथि अपना आकार बड़ा कर थायराइड हार्मोन का अधिक स्त्रावन करने लगती है जिससे घेंघा रोग हो जाता है
6- विटामिन बी12(Vitamin B12)-
विटामिन बी12 हमारे शरीर में विटामिन एक महत्वपूर्ण रोल अदा करता है विटामिन सिर्फ शरीर को पोषण नही देता है बल्कि कई प्रकार के हार्मोन को भी स्त्रावन होने में मदद करती है। शरीर में जब विटामिन B12 कमी आती है तब थायराइड ग्रंथि द्वारा बीपी और t4 हारमोंस का श्रवण सामान्य से नहीं हो पाता जिसके कारण हाइपर थायराइड हो जाता है
हाइपरथॉयराइडिज्म के लक्षण (Symptoms of Hyperthyroidism in Hindi)
- घबराहट-हायपर थायराइड की अवस्था में मन थोड़ा सा विचलित होता है और किसी अनिश्चित भाव का डर होता है
- चिड़चिड़ापन-जब दिमाग शांत रहो और शरीर की मेटाबॉलिज में भी स्टेबल ना हो तो इंसान थोड़ी थोड़ी सी बातों के लिए खींचने लगता है और चिड़चिड़ापन आ जाता है
- अधिक पसीना आना-यदि सामान्य गर्मी है तब भी हायपर थायराइड से ग्रस्त व्यक्ति में उसे थोड़ी देर में ज्यादा लगेगी जिसकी वजह से शरीर का कूलिंग सिस्टम एक्टिवेट हो जाएगा और अधिक मात्रा में पसीना बनाएगा जिससे कि शरीर ठंडा हो
- बालों का पतला होना एवं झड़ना- थायराइड की बीमारी में बालों का झड़ना आम बात है इसके अलावा नया बाल उगने में भी वक्त लगाते हैं जिसकी वजह से गंजापन भी आ सकता है
- मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द होता है जिसका कारण विटामिन की कमी हो सकती है स्पेशली विटामिन B12 की
- दिल की धड़कन का बढ़ना -आमतौर पर जब शरीर बीमार होता है या उसकी आंतरिक सिस्टम ढंग से काम नहीं कर रही होती है, तब दो ही कंडीशन होता है जिसमें कि पहला होता है ह्रदय स्लोली काम करें और दूसरा हृदय फास्ट काम करें थायराइड की समस्या में ह्रदय सामान्य धड़कन की अवस्था से ज्यादा धड़कता है
- ओस्टियोपोरोसिस की समस्या-इसकी वजह से लोगों के शरीर में उपस्थित हड्डियों में कैल्शियम की मात्रा कम होने लगती है जिससे शरीर कमजोर होने लगता है और हड्डी टूटने का डर होता है
- महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता।-महिलाओं में थायराइड ग्रंथि बहुत ज्यादा प्रभाव डालती है जिसकी वजह से गर्भाशय में अंडे के बनने के लिए हारमोंस का बनना रुक जाता है और जब अंडा नहीं बन पाता तब महिलाओं में मेन्सेस ( मासिक धर्म ) भी नहीं हो पाती इस वजह से मासिक धर्म नियमित नहीं होता
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