Drip irrigation क्या है | drip irrigation in hindi

ड्रिप सिंचाई क्या है ,ड्रिप सिंचाई प्रणाली के बारे में जानकारी

Drip irrigation क्या है

जब पानी को बून्द बून्द पौधों के जड़ो मे डायरेक्ट दिया जाता है तब इसे Drip irrigation कहा जाता है फसल मे सिचाई की यह सिस्टम उन छेत्रो मे उपयोग किया जाता है जहाँ वर्षा का जल पर्याप्त होता नही है या वर्षा ही नही होता है,Drip irrigation की सुरुवात इजिरॉइल में हुआ 

इस सिस्टम मे पानी को छोटी छोटी पाईप द्वारा पौधों की जड़ तक पहुंचाया जाता है जो सीधे borvels से जुड़े होते हैं,इसमें 1-4 लीटर जल प्रति घंटे पौधे के जड़ मे दी जाती हैं जिसमे पाइप द्वारा यह बून्द बून्द गिरती हैं, इसकी वजह से जल की 50 से 77% मात्रा बचत होती है

ड्रिप इरिगेशन की विशेषताएं

  • जहां पर व्हाट्सएप बहुत कम होती है वर्षा बहुत कम होती है वहां पर ड्रिप इरिगेशन किया जाता है
  • रेगिस्तानी क्षेत्रों में ड्रिप इरिगेशन के द्वारा अच्छी मात्रा में फसल उत्पादन किया जा सकता है
  • फसलों की जल क्षेत्र में पानी दिए जाने की वजह से पानी का संपूर्ण उपयोग होता है
  • कम जल का उपयोग कर भी अधिक मात्रा में सिंचाई की जा सकती है
  • ऐसी मृदा जो लवणीय होती है उस मृदा पर ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई करने पर मृदा लवणता कम हो जाता है
  • सिंचाई वाली जल के साथ उर्वरक और शक मासी को घोलकर दिया जाता है जिससे फसल पैदावार अच्छा होता है और दूसरी फालतू पौधे का विकास नहीं हो पाता
  • रोग और खरपतवार संबंधी कठिनाई काम उत्पन्न होती है
  • इसमें श्रम लागत कम होने की वजह से श्रमिकों की जरूरत कम होती है

ड्रिप इरिगेशन के दोष

  • जिन  छेद से पानी की बूंद गिरती है वह छेद बंद हो जाता है
  • मूषक प्रजाति की जीवो के द्वारा ड्रिप इरिगेशन सिस्टम में लगी पाइप को नुकसान पहुंचाया जाता है
  • वार्षिक फसलों में इन्हें बार-बार लगाया और निकाला जाता है
  • आरंभिक लागत अधिक होती है
  • पानी की अधिक मात्रा उपयोग ना होने के कारण पौधों के आसपास लवण का लीचिंग नहीं हो पाता है जिससे लवण उपस्थित होते हैं

conclusion – Drip irrigation क्या है

ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) एक उन्नत कृषि प्रणाली है जिसमें पानी को सीधे पौधों के जड़ों तक पहुँचाया जाता है। यह एक प्रभावी और आसान पानी वितरण प्रणाली है जो पानी की बचत करती है और पौधे कि वृद्धि दर को बढ़ाती है। ड्रिप इरिगेशन पानी की बचत करती है, कार्बन फुटप्रिंट कम करती है, उत्पादकता बढ़ाती है और खर्च कम करती है। इस प्रणाली का उपयोग सामान्य तौर पर सब्जियों, फलों, बागवानी में किया जाता है। इसके अलावा, इस प्रणाली का उपयोग जल संरक्षण, मिट्टी की सुधार, उत्पादकता का वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के साथ लड़ने के लिए भी किया जाता है।

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