कोशिकीय श्वसन
कोशिकीय श्वसन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीव, कोशिका के कार्यों के लिए ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भोजन के अणुओं को तोड़ने के लिए ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं।
कोशिकीय श्वसन जानवरों, पौधों, कवक,शैवाल और अन्य प्रोटिस्ट में भी होता है। इसे अक्सर एरोबिक श्वसन कहा जाता है क्योंकि इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है
ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में, कोशिकाएं किण्वन या अवायवीय श्वसन की प्रक्रिया के माध्यम से भोजन को तोड़कर ऊर्जा प्राप्त कर सकती हैं।
कोशिकीय श्वसन के लिए निम्न क्रियाओं का होना जरूरी है आईए के बारे में जानते हैं
- ग्लाइकोलाइसिस
- पैरोंबिक अम्ल का ऑक्सीकरण
- एनएरोबिक ऑक्सीडेशन
- एरोबिक ऑक्सीडेशन
- क्रेब्स चक्र
- इलेक्ट्रॉन परिवहन पथ
ग्लाइकोलाइसिस
ग्लाइकोलाइसिस एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत ग्लूकोस के एक अणु का टूटने से पारुविक अम्ल के दो अणुओ का क्रमिक निम्नकरण होता है
तथा इस पुणे श्रृंखला में एटीपी के दो अणु का शुद्ध लाभ होता है इसके अतिरिक्त इस क्रिया में हाइड्रोजन के 4 अणु भी मुक्त होता है
पैरुविक अम्ल का ऑक्सीकरण
पैरुविक अम्ल का निर्माण जीवो में दो प्रकार से होता है जब ऑक्सीजन की उपस्थिति में निर्माण होता है पर यह क्रिया ऑक्सी ऑक्सीकरण कहलाता है किंतु जब ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में पैरुविक अम्ल का निर्माण हो तब अनाक्सी ऑक्सीकरण कहलाता है
अनाक्सी ऑक्सीकरण के द्वारा शरीर में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है जिसके कारण मनुष्य को काम के दौरान थकान का अनुभव होता है कुछ देर आराम करने के बाद लैक्टिक अम्ल पुनः पैरुविक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है
क्रेब्स चक्र
इस क्रिया का सर्वप्रथम वर्णन सर हम स्केच क्रैब द्वारा किया गया था इस कारण इनके नाम पर इस क्रिया को कैब चक्र कहते हैं। इस क्रिया में Acetyl सह-एन्जाइम (Acetyl Co-enzyme A) का CO2, एवं H, O में निम्नीकरण होता है। यह क्रिया विविध एन्जाइम की उपस्थिति में कई प्रतिक्रियाओं की एक जटिल शृंखला है।
इस सम्पूर्ण क्रिया में दो बार CO2, स्वतन्त्र होती है तथा ADP के दो अणु ATP में परिवर्तित हो जाते हैं तथा 4 बार हाइड्रोजन के दो-दो अणु मुक्त होते हैं।
इस शृंखला में ऐसिटल सह-एन्जाइम A का ऑक्सीकरण (Oxidation) होता है। इस शृंखला में मुक्त हाइड्रोजन के परमाणुओं को तीन बार, हाइड्रोजनग्राही पदार्थ NAD’ ग्रहण करता है एवं चौथी बार FAD नामक हाइड्रोजन ग्राही पदार्थ ग्रहण करता है।
चूँकि इस क्रिया में साइट्रिक अम्ल (Citric acid) एवं अन्य तीन कार्बोक्सिलिक (COOH) वाले मूलक कार्बनिक अम्ल बनते हैं एवं अपघटित होते हैं, इस कारण इस क्रिया को साइट्रिक अम्ल चक्र (Citric acid cycle) या ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (Tricarboxylic acid) कहा जाता है , इसे cycle-TCA) भी कहते हैं
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