जैव उर्वरक किसे कहते हैं  | Biofertilizer के प्रकार

जैव उर्वरक किसे कहते हैं-ऐसे  सूक्ष्म जीव या प्लांट्स  जो भूमि के अंदर या भूमि के बाहर रहकर पेड़ पौधों के लिए आवश्यक पोषक पदार्थ जैसे नाइट्रोजन फास्फोरस और सल्फर का पेड़ पौधों के लिए स्तरीकरण करते हैं जिससे कि पेड़ पौधों की विकास और उत्पादकता में वृद्धि होती है , जैव उर्वरक कहलाते है

जैव उर्वरक के अंतर्गत राइजोबियम, एजोटोबेक्टर , ब्लू ग्रीन एलगी  ,एजोस्पिरिलन, अजोला जैसे  जैव उर्वरक शामिल है चलिए इनके बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करते है

जैव उर्वरक किसे कहते हैं

जब फसलों में जैव उर्वरक ऐसे  सूक्ष्म जीव को कहा जाता है जिसकी वजह से पेड़ पौधों के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे उपयोगी तत्व पेड़ पौधों को उपलब्ध कराया जाता है इसका उद्देश्य होता है कि पेड़ पौधों की विकास और उत्पादन में वृद्धि हो जिससे कि कृषक लाभ प्राप्त कर सके 

इसके अंतर्गत ऐसे जैव उर्वरक का उपयोग किया जाता है जिससे कि इनके द्वारा  फास्फोरस का नाइट्रोजन और फास्फोरस का पेड़ पौधों के लिए स्थिरीकरण किया जा सके इस हेतु ऐसे जरूरत ऐसे जय भारत जैव उर्वरक कृषि पद्धति में उस वक्त उपयोग किए जाते हैं जब इनके द्वारा नाइट्रोजन और फास्फोरस फसलों के लिए स्थिरीकरण किया जा सके

जैव उर्वरक के अंतर्गत बहुत सारे जैव उर्वरक शामिल है जैसे राइजोबियम का उपयोग मुख्य रूप से दलहनी फसलों में किया जाता है,नीला हरा शैवाल और साइनोबैक्टीरिया धान की खेती में उपयोग किया जाता है जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन का धान की कृषि में स्तरीकरण करता है

 इसके अतिरिक्त ऐसे  जैव उर्वरक जो फास्फोरस का स्तरीकरण करते हैं इन्हें फास्फेट सॉल्युबलाइजिंग माइक्रो ऑर्गेनाइज्म कहा जाता है इसके अंतर्गत ट्राइकोडरमा और यूट्यूब एक्टर एसीटोबेक्टर का उपयोग किया जाता है फास्फेट सेलिब्रेशन सॉल्युबलाइजिंग माइक्रोऑर्गेनाइज्म्स को छोड़कर बाकी जो जरूरत है जैव उर्वरक हैं उन्हें नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले  जैव उर्वरक कहा जाता है इस प्रकार देखा जाए तो अधिकांश जैव उर्वरक नाइट्रोजन , फास्फोरस का स्तरीकरण करते हैं

जैव उर्वरक के प्रकार

जैव उर्वरक को निम्नलिखित वर्गों में बांटा गया है

  • सिंबायोटिक नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया -इसके अंतर्गत राइजोबियम समूह के जैव उर्वरक आते हैं जिसका प्रयोग दलहनी फसलों में ही होता है इस विधि से संचित किया गया नाइट्रोजन यदि 10 किलोग्राम है तब उसका मान 100 किलोग्राम अमोनियम सल्फेट के बराबर होता है
  • सिंबायोटिक नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया -इसके अंतर्गत एजोटोबेक्टर azosperiline, blue green alge जैसे जैव उर्वरक उपयोग किए जाते हैं इसके अतिरिक्त कुछ बैक्ट्रिया ऐसे भी होते हैं जो पेड़ पौधों की वृद्धि को बढ़ाते हैं और पेड़ पौधों में पाए जाने वाले रोगों से भी लड़ने में मदद करते हैं इनके द्वारा nitrogen-fixing कम किया जाता है किंतु फिर भी 10 किलोग्राम नाइट्रोजन स्थिरीकरण से 50 किलोग्राम अमोनियम सल्फेट के बराबर इसका स्तरीकरण होता है
  • फास्फोरस सॉल्युबलाइजिंग माइक्रो ऑर्गनिज्म-इसमें बैक्टीरिया फंगस और एक्टीनोमाइसीट्स जैसे जैव उर्वरक द्वारा अघुलनशील अकार्बनिक  फास्फेट को घुलनशील फास्फेट में बदला जाता है

कुछ बहुत जरूरी जैव उर्वरक के बारे में  जानकारी निम्न है

राइजोबियम जैव उर्वरक

यह दलहनी फसलों में की जड़ों में पाए जाने वाले गांठ में में सहजीवी के रूप में निवास करता है और वहीं पर नाइट्रोजन का स्थिरीकरण भी करता है जब वहां पर नाइट्रोजन इनका फिक्सिंग हो जाता है तब इसमें नाइट्रोजन का उपयोग पौधों द्वारा किया जाता है जिससे उनकी ग्रोथ में वृद्धि होती है और पोषक पदार्थों की पूर्ति होती है जहां पर राइजोबियम जीवाणु गांठ बनाते हैं या ग्रंथि बनाते हैं वह ग्रंथि एक निश्चित मोटाई की होती है जो 2से 6 मिली मीटर  से 10  मिली मीटर तक पाई जाती है यह ग्रंथि जड़ों पर फैली हुई अवस्था में पाई जाती हैं

राइजोबियम जीवाणु की दलहनी फसलों की  ग्रंथि तक पहुंचने की संबंधित विचार विवादास्पद है जब ग्रंथि पर राइजोबियम जीवाणु पहुंचती है तब  पौधे द्वारा ग्लोब्युलिन प्रोटीन का निर्माण किया जाता है और यह प्रोटीन जब पौधों की लेग मतलब जड़ में ग्रंथि का निर्माण कर ग्लोबल इन प्रोटीन को अवशोषित करती है तब इससे लेग हीमोग्लोबिन कहा जाता है इस प्रकार लेग- हीमोग्लोबिन और बैक्टीरिया का आपसी सीधा संबंध है दलहनी पौधों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण हेतु जिम्मेदार होता है

 राइजोबियम के प्रकार कितने हैं

 राइजोबियम दो प्रकार के होते हैं एक होता है बहुत जल्दी बढ़ने वाला और दूसरा अम्ल पैदा करने वाला इसमें  राइजोबियम फैसियोलाई,   राइजोबियम लेगिमिनोसोरस आदि शामिल है

एजोटोबेक्टर

एजोटोबेक्टर का सर्वप्रथम पता रशियन वैज्ञानिक बेजरीग ने बीसवीं सदी के प्रारंभ में लगाया था जो वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन को अमोनियम में बदल देता है और इस प्रकार यह अमोनियम पेड़ पौधों को उपलब्ध होता है एजोटोबेक्टर की संरचना एक घड़े की जैसी होती है इसकी मुख्य विशेषता यह है कि इसके द्वारा पिग्मेंट पैदा किया जाता है और इसके विकास के लिए 25 से 30 डिग्री ताप क्रम जरूरी होता है

 इसके साथ ही इसको वृद्धि के लिए नमी की भी आवश्यकता होती है एजोटोबेक्टर को एरोबिक बैक्टीरिया कहा जाता है क्योंकि इसे हमेशा हवा की आवश्यकता होती है इसमें भी लगातार ऑक्सीजन की उपलब्धता  इसके लिए बहुत ज्यादा जरूरी होती है

एजोटोबेक्टर की विशेषता

  • इसके द्वारा प्रतिजैविक पदार्थ फसल में छोड़ा जाता है जिसके कारण पौधों को रोग नहीं हो पाता
  • एजोटोबेक्टर धान की खेती में अच्छा उत्पादन देता है
  • एजोटोबेक्टर द्वारा भूमि पर 25 से 30 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर संचित करने का गुण होता है

ब्लू ग्रीन एलगी

इसी इसी हिंदी में नील हरित शैवाल कहा जाता है यह alge की एक प्रजाति है जिसको प्रयोग खेती के दौरान किया जाता है ब्लू ग्रीन एलगी का उपयोग धान की खेती में करने पर लगभग 30 किलोग्राम नाइट्रोजन इस एलगी द्वारा संचित की जाती है नील हरित शैवाल का उपयोग धान की खेत में अधिकांश किया जाता है इससे धान की रोपाई के बाद 1 सप्ताह बाद पानी डालकर उसमें एलगी लगा दिया जाता है जिसकी वजह से धान की उपज में वृद्धि 10%से 20% तक की होती है

 एजोला

धान की खेती में अजोला का उपयोग करने पर उत्पादन में बहुत ज्यादा वृद्धि होती है यह धान की खेती में कार्बनिक खाद ग्रुप में काम करती है अजोला का सर्वप्रथम प्रयोग वियतनाम 1957 आसपास किया गया था एक छोटी करने वाली है तैरने वाली फर्म है जो ब्लू ग्रीन एलगी की प्रजाति का होता है और इसके समान ही यह भी नाइट्रोजन फिक्सेशन का काम करती है

जोलो का उपयोग दो प्रकार से किया जाता है पहला है धान की बुवाई से पहले ही इसे मिट्टी में मिला दिया जाता है और दूसरा होता है खड़ी फसल में लगाना इन दोनों ही विधि धान में लगाने पर है 13 से 30% तक की वृद्धि होती है

Conclusion -जैव उर्वरक किसे कहते हैं

आधुनिक खेती में अधिक उत्पादन और अधिक लाभ के उद्देश्य से खेतों में विभिन्न प्रकार की रासायनिक उर्वरक खाद और जैव उर्वरक का उपयोग किया जाता है हमने इस पोस्ट पर आपको बताने की कोशिश की है कि जैव उर्वरक क्या है और कैसे इसको उपयोग कर कृषक बंधु अपनी उत्पादन में वृद्धि सकता है 

भारत में कृषि क्रांति के बाद ही फसल उत्पादन और लाभ के लिए बहुत सारे खोज किए गए जिसमें बहुत सारी विधियां अपनाई गई जैव उर्वरक एक आधुनिक पोषक पदार्थ है जिसका उपयोग करें हम ऑर्गेनिक खेती कर सकते हैं और अपने फसलों में उत्पादन बढ़ा सकते हैं

 जैविक उर्वरक का उपयोग करने का दूसरा फायदा यह भी है कि इसके द्वारा प्राकृतिक रूप से पेड़ पौधों को नाइट्रोजन की आपूर्ति किया जाता है और यह प्राकृतिक नाइट्रोजन पौधों की वृद्धि विकास के लिए आवश्यक होता है जिससे प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि होती है 

इसके अतिरिक्त उर्वरक का उपयोग करने पर कृषि लागत में कमी भी आती है और रासायनिक खादों का उपयग  ना करने पर केमिकल का हमारे शरीर पर असर भी नहीं होता इस प्रकार देखा जाए तो जैविक उर्वरक  का उपयोग सभी कृषक बंधु को करना चाहिए जिससे कि ऑर्गेनिक फसल और लाभ के साथ स्वस्थ शरीर की प्राप्ति भी निश्चित की जाती है प्रस्तुत पोस्ट में हमने आपको आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है कि जैव उर्वरक क्या है  और कैसे यह फसलों में उत्पादन बढ़ा सकता है

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