एलीलोपैथी क्या है | Allelopathy in hindi

एलीलोपैथी क्या है ( Allelopathy kya hai )

जब किसी एक ही भूमि पर किसी फसल की खेती करने के बाद जब किसी दूसरी फसल की खेती की जाती है पहले फसल के द्वारा थोड़ी गए रासायनिक पदार्थ के द्वारा दूसरी फसल की वृद्धि और विकास को प्रभावित किया जाता है जिसकी वजह से उसकी उत्पादकता को प्रभावित करता है तब इस प्रकार का प्रभाव एलीलोपैथी कहलाता है

एलीलोपैथी के प्रभाव मे देखा गया है कि पहले फसल की जड़े द्वारा किसी विशेष प्रकार की रसायन उत्पन्न किया जाता है जो कि दूसरी फसल के लिए हानिकारक होती है इस अवस्था में पहले फसल की जड़ें सड़ने लगती है और जब दूसरी फसल को लगाया जाता है तब उससे निकलने वाले रासायनिक पदार्थ दूसरी फसल की जड़ द्वारा अवशोषित की जाती है और पौधों के अंदर प्रवेश कर उसकी वृद्धि और विकास को प्रभावित करती है जिसके कारण उत्पादकता बहुत ज्यादा प्रभावित होती है

जैसे सनफ्लावर की खेती में जब सनफ्लावर को लगाया जाता है तब उसकी कटाई के बाद आगामी फसल की रोपाई  हेतु 20 दिन का अंतराल रखा जाता है अगर ऐसा नहीं किया जाता है तब दूसरा फसल की जड़ों द्वारा सनफ्लावर की जड़ों द्वारा उत्पादित रसायन को अवसोसित कर ली जाएंगी और दूसरी फसल की विकास और वृद्धि प्रभावित होगी तो अब सनफ्लावर की जड़ द्वारा उत्पादित रसायन एलीलोपैथी कहलाएंगे

सूरजमुखी की खेती के बाद 20 दिन का अंतराल रखने की वजह से दो प्रकार के लाभ होंगे

  • आगामी फसल सूरजमुखी की एलोपैथी प्रभाव से बच जाता है
  • सूरजमुखी की तीव्र सड़न से मृदा में उपस्थित नाइट्रोजन का खनिजीकरण हो जाता है

एलीलोपैथी के प्रकार

True Allelopathy

हानिकारक पदार्थ किसी पौधे से उसी अवस्था में निकल कर सीधे ही किसी पौधे को प्रभावित करती है

Functional  Allelopathy

जब किसी पौधे से कोई पदार्थ निकलता है तब मृदा मे उपस्थित  जीवाणु उस पदार्थ को हानिकारक पदार्थ में बदलते हैं जिससे दूसरी फसल के लिए वह हानिकारक हो जाती है

Allelopathy दो प्रकार के प्रभाव दिखाता है

Alloinhibition

जब किसी पौधे द्वारा स्ट्रावित हानिकारक रसायन सिर्फ दूसरे पर हानिकारक प्रभाव डालता है खुद पर  तब इसे  Alloinhibition  कहा जाता है

Autoinhobition

जब किसी पौधे द्वारा स्थापित हानिकारक रसायन खुद को और दूसरों को भी प्रभावित करती है  तब इसे  Autoinhobition  कहा जाता है

conclusion -एलीलोपैथी क्या है

एलीलोपैथी एक प्रकार की प्राकृतिक रसायन संचार है जिसमें एक प्रजाति के वनस्पति अन्य प्रजातियों को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनिक पदार्थों को उत्पन्न करती है। इस प्रक्रिया में, एक वनस्पति रसायनिक पदार्थों को उत्पन्न करती है जो अन्य वनस्पतियों को विषाक्त कर सकते हैं या उनकी विकास और वृद्धि को रोक सकते हैं।

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