एड्रिनल ग्रंथि ( अधिवृक्क ग्रंथि )इस पोस्ट मे जाने अधिवृक्क ग्रंथि क्या है-एड्रिनल ग्रंथि को हिंदी में अधिवृक्क ग्रंथि कहा जाता है जिसका काम शरीर में बहुत सारे क्रियाओं को नियंत्रित करने और लैंगिक लक्षणों को विकसित करने के लिए इसकी जिम्मेदारी होती है इस पोस्ट पर हम आपको बताएंगे कि एड्रिनल ग्रंथि क्या है या हम इसको हिंदी में अधिवृक्क ग्रंथि क्या है भी कह सकते हैं इसके अलावा हम एड्रिनल ग्रंथि की संरचना के बारे में भी बात करेंगे और पूरी विस्तार से आपको सूचना देंगे
एड्रिनल ग्रंथि क्या है
एड्रिनल ग्रंथि कहां होती है-यह किडनी में पाई जाने वाली किडनी का ऊपरी स्तर है जोकि किडनी में टोपी के सामान स्थित होती है इसका वजन 306 ग्राम तथा लंबाई 4 से 5 सेंटीमीटर चौड़ाई 2.5 सेंटीमीटर तथा ऊंचाई 1 सेंटीमीटर तक होती है इसका निर्माण मेसोडर्म से खुद का बाहरी भाग का विकास और neural actoderm से अपना विकास करता है
अधिवृक्क ग्रंथि का बाहरी भाग को वल्किय भाग कहा जाता है तथा भीतरी भाग को मज्जक पिंड कहा जाता है और यह अधिवृक्क ग्रंथि का बाहरी आवरण संयोजी उत्तक से ढका होता है जिसे सम्पूट कहा जाता है, अधिवृक्क ग्रंथि को suprarenal gland भी कहा जाता है
अधिवृक्क ग्रंथि ने 75 से 90% भाग एड्रीनल कोरटेक्स ( एड्रीनल वल्क ) पाया जाता है, एड्रीनल के इस भाग से कुल 45 प्रकार के हार्मोन स्रावित होते हैं जिन्हें सामूहिक रूप से corticosteroid कहा जाता है
इसे पूरी तरह से तीन भागों में बांटा जाता है इसमे सम्मिलित रूप से
- Zonaglomerulosa
- Zonafasciculata
- Zonareticularis
एड्रीनल के इस भाग से कुल 45 प्रकार के हार्मोन स्रावित होते हैं जिन्हें सामूहिक रूप से corticosteroid कहा जाता है और इसका रासायनीक गुण स्टेरॉयड जैसा होता है
लेकिन इनमें से कुछ है सक्रिय होते हैं जो काम के लायक होते हैं
जो निम्न है
लिंग हारमोंस
वैसे तो किसी जीव जंतु में लिंग निर्धारण एक्स और वाई गुणसूत्र कारण होता है किंतु किसी जंतु में लैंगिक लक्षण का दिखाई देना लिंग हार्मोन पर निर्भर करता है जैसे कोई लड़की जब यौवन धारण करती है तब उसके वक्षस्थल उभरने लगते हैं इसके अलावा उनकी आवाज में पतला पन होता है जननांग के आसपास बालों उगने लगते हैं
यह सब लैंगिक लक्षण है जो लिंग हारमोंस की वजह से होती हैं
इसी प्रकार किसी लड़के में यौवन आने पर उसकी चेहरे पर बाल आने लगते हैं जोकि मूंछ और दाढ़ी में होते हैं इसी प्रकार छाती में भी बाल आने लगते हैं और लड़की की आवाज में भी भारीपन होने लगता है जो कि इस चीज का संकेतक है कि लैंगिक हारमोंस की वजह से व्यक्ति में यौवन आया है
Glucocorticoid-
इस हारमोंस का स्त्रावण एड्री नल कोरटेक्स में उपस्थित Zonafasciculata द्वारा किया जाता है इसकी वजह से ब्लड में glucose की मात्रा बढ़ जाती है, लीवर में ग्लाइकोजेनेसिस की प्रक्रिया इसी के द्वारा नियंत्रित होती है के अलावा इसके द्वारा रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाया जाता है किंतु सफेद रक्त कणिकाओं की संख्या को घटाया जाता है
Cortisone-
यह ह्यूमन बॉडी में गार्ड कोशिकाओं जैसी व्यवहार करती है इसका काम होता है शरीर की प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया को हमेशा एक्टिव रखना इसी कारण एलर्जी रिएक्शन करने में इसको बहुत ज्यादा हाथ होता है इसके अलावा जब कोई अंग प्रत्यारोपण किया जाता है तब human body कोई प्रतिक्रिया ना करें इसके लिए Cortisone का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे कि शरीर में प्रतिरक्षी उत्पन्न ना हो और शरीर में काम सुचारू ढंग से हो
इसके अंदर प्रोटीन का उपापचय करती है
Minerallocorticoids –
यह Zonaglomerulosa से स्ट्रावित होने वाला hormone है
ईश्वर मूल के द्वारा इस शहर में उसके द्वारा रक्त में खनिज पदार्थों की मात्रा को नियंत्रित किया जाता है और इसके aldosterone नामक वृक्क नलिका जिसको मिनरेलोकोर्डिक कहते हैं के द्वारा NA और Cl आयन्स को अवशोषण को नियंत्रण करने का काम करती है, करण इतनी लवण प्रति धारक हार्मोन कहा जाता है
अधिवृक्क वल्क का नियंत्रण-एड्रिनल ग्रंथि का कार्य
Adrenal medulla –
यह अधिवृक्क ग्रंथि का आंतरिक भाग है जिससे दो प्रकार के हार्मोन स्रावित होता है
- Adrenalin or epinephrine
- Non -Adrenalin or Non-epinephrine
Adrenalin or epinephrine
यह Adrenal medulla द्वारा स्रावित हारमोंस का 80 पर्सेंट भाग होता है, इसका खोज j.j. abel ने 1899 में किया तथा takamin ने इसे इसे विसुद्ध रुप से पृथक किया. इस hormones के कार्य निम्नलिखित हैं
- इसके द्वारा ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने का काम किया जाता है
- यह शरीर में ऊर्जा की प्राप्ति हेतु ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदलने का काम करती है
- हृदय स्पंदन की दर को नियंत्रित की जाती है
- संकटकाल में आंखों की पुतली को फैलाने शरीर में रोंगटे खड़े करने या डर की अनुभूति कराने की वाला हारमोंस कहा जाता है
- इसके कारण सांस लेने की दर बढ़ जाती है
Non -Adrenalin or Non-epinephrine
हारमोंस की खोज का श्रेय ulf von euler ने 1946 में किया शरीर में इस hormone द्वारा पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन axelrod ने 1965 में किया
इस हार्मोन के कार्य
इस हारमोंस के द्वारा शरीर में स्वायत्त तंत्रिका तंत्र को नियमन नियंत्रण और क्रियान्वित करने का काम होता है शर्म उसके द्वारा हर रक्त नलिका को यूनिक होने के बजाय सिकुड़ने की वजह फैलाने का काम करता है
Conclusion – एड्रिनल ग्रंथि क्या है
या हमारे किडनी की ऊपर में पाया जाने वाला छोटा सा गलती है जो शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है किस ग्रंथि से लगभग 45 हार्मोन स्रावित होते हैं जिनकी वजह से शरीर में बहुत सारे परिवर्तन आते हैं और शरीर को नियंत्रित करने का भी प्रयास किया जाता है उम्मीद है हमारी पोस्ट आपको पसंद आई होगी