अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक
जब कोई अभिक्रिया होती है तब अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले बहुत सारे कारक होते हैं,अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारकों की बारे में जानने से पहले आपको अभीकारक और क्रिया फल के बारे में जानना होगा
- अभीकारक -जो किसी अभिक्रिया में भाग लेते हैं अभिकारक कहलाते हैं
- क्रिया फल -अभी कारकों के द्वारा अभिक्रिया में भाग लेने के पश्चात जो परिणाम मिलता है वह क्रिया फल कहलाता है
आइए जानते हैं कि अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं
अभी कारकों का सांद्रण
जब किसी अभिक्रिया में अभी कारकों का सांद्रण बढ़ाया जाता है तुम अभिक्रिया की दर में भी वृद्धि होती है ऐसा कहा जा सकता है कि अभी कारक के मोलर सांद्रण की गुणनफल के समानुपाती होती है
अभिक्रिया का ताप
किसी बकरियां में किसी अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारक का तापमान यदि बढ़ा दिया जाता है तो अभिक्रिया की दर भी बढ़ जाती है सामान्य तौर पर प्रति 10 सेल्सियस तापमान पर अभिक्रिया द्वारा दोगुनी हो जाती है इसका कारण होता है कि ताप बढ़ाने से अभिकारको की गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है
उत्प्रेरक की उपस्थिति
अभिक्रिया में यदि कोई उत्प्रेरक शामिल किया जाता है तब वह अभिक्रिया की डर को बढ़ा देता है या घटा देता है परंतु खुद किसी अभिक्रिया में अपरिवर्तित रहता है
धनात्मक उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया के दौरान सक्रियण ऊर्जा का मान घट जाता है जबकि ऋण आत्मक उत्प्रेरक की उपस्थिति में सक्रियण ऊर्जा का मान बढ़ जाता है
पृष्ठ का क्षेत्रफल
यदि किसी अभिक्रिया में अभी कारकों की पृष्ठ क्षेत्रफल में वृद्धि होती है तब अभिक्रिया दर बढ़ जाता है अतः कहा जा सकता है कि यदि अभिकारक को बारीक चूर्ण को रूप में उपयोग में लाया जाए तब अभिक्रिया की दर बढ़ जाएगी
अभिक्रिया का दाब
जब अभिक्रिया किसी गैसीय माध्यम में संपन्न कराया जाता है तब यदि दाब में वृद्धि की जाती है जिससे गैस के आयतन में कमी होती है जिसके कारण एक निश्चित आयतन में अणुओ की संख्या में वृद्धि होती है फुल स्वरूप प्रति इकाई आयतन मे अणुओ कि टक्कर में वृद्धि हो जाती है जिसके कारण अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है
अभिकारको की प्रकृति
जब अभिक्रिया होती है तब इनकी बीच कई प्रकार की भिन्नता होती है जिसकी वजह से अभिक्रिया के दौरान पुराने बंध फोड़ते हैं और नए बंध बनते हैं इसलिए जिस अभिक्रिया के दौरान आसनी से बंध टूटते हैंऔर बनते हैं वे मंद हो जाते हैं और जिनमें बहुत कम बंध टूटते हैं वे उतने ही अधिक तीव्र होते हैं
विकिरण का प्रभाव
कुछ रसायनिक अभिक्रिया है प्रकाश की उपस्थिति के प्रति संवेदी होती है प्रकाश की उपस्थिति में अपनी समस्त ऊर्जा अणुओ को दे देती है जिससे अणु उत्तेजित हो जाते हैं और तीव्र अभिक्रिया कर क्रियाफल बनाते हैं
CONCLUSION – अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक
तो मित्रों आप सब ने जाना कि अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं और किस प्रकार यह अभिक्रिया को प्रभावित करते हैं जिसमें हमने आपको बताया कि अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने का वाले कारक में
अभी कारकों की सांद्रण ,अभिक्रिया का ताप,उत्प्रेरक की उपस्थिति,पृष्ठ का क्षेत्रफल,अभिक्रिया का दाब,अभी कारकों की प्रकृति और विकिरण का प्रभाव जैसे कारक जिम्मेदार होते हैं,
”अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक ” के बारे आप कुछ पूछना चाहते हैं तो कृपया comment box में जरूर क्वेश्चन पूछे हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा, आप हमारे वेबसाइट vigyantk.com पर यू ही आते रहे जहाँ पर हम विज्ञान , प्रोद्योगिकी, पर्यावरण औऱ कंप्यूटर जैसे विषयो पर जानकारी साझा करते है
अन्य भी पढ़े>>
- नाभिकीय ऊर्जा क्या है
- अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक
- मुँह में दाँत का छरण क्यो होता है
- परासरण क्या है